यह बगावत का नहीं इंडिविजुअल फ्रीडम या व्यक्तिगत स्वतंत्रता का मुद्दा है।.
जैसे जानवरों को देखें तो ग्रुप में रहते हैं ग्रुप में शिकार करते हैं, क्योंकि उनके लिए "सेफ्टी" या सुरक्षा सर्वोपरि है। मानव सभ्यता में शुरू में ऐसा ही था - पहले जान बचानी थी, व्यक्तिगत स्वतंत्रता को कौन पूछे? पर जैसे जैसे मानव सभ्यता आगे डेवेलप हो रही है, व्यक्तिगत स्वतंत्रता और निर्णय लेने की स्वतंत्रता उतनी जरुरी होती जा रही है।
न तो सारे देश एक हैं और न सारे समाज एक; पर धीरे धीरे मानव समाज को हर व्यक्ति (महिला या पुरुष) को व्यक्तिगत स्वतंत्रता देना ही होगा। आप बोल सकते हैं कि ऐसा होने पर परिवार टूटेंगे और पुराने संस्कार ज्यादा अच्छे थे - पर दुनिया की सोच किसी और ओर जा रही है।
हवा की कोई दिशा मोड़ पाया है कोई?
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