भाजपा ने इस बार केजरी के खिलाफ चक्रव्यूह रचना बहुत अच्छे से की थी. काम असंभव जैसा था क्योंकि दिल्ली के गरीब तबकों में केजरी बहुत ज्यादा पॉपुलर था और एंटी इंकम्बेंसी अभी डेवेलप नहीं हो पाई थी. भाजपा ने छोटे पॉकेट्स में वोट्स काटे:
१. बिहार और उधर के लोग = मनोज तिवारी + जदयू
२. ब्राह्मण = मनोज तिवारी
३. सिख = शिरोमणि अकाली दल
४. जाट = जेजेपी
५. दिल्ली के इल्लिगल कॉलोनी वाले = ऑथोराइज़ करके ८० लाख लोग
६. झुग्गिओं में रहने वाले = पक्का मकान देने का वादा
७. लालची वोटर्स : बच्चियों को स्कूटी देने का वादा, २ रुपये किलो अनाज और फ्री योजनाएँ चालू रखने का वादा
८. महिलाएँ : २ लाख फिक्स्ड डिपाजिट का वादा
९. हिन्दू : सीएए, धारा ३७०, राम मंदिर
१०. कश्मीरी हिन्दू: धारा ३७०
११. एससी/एसटी: एलजेपी
इत्यादि
१. बिहार और उधर के लोग = मनोज तिवारी + जदयू
२. ब्राह्मण = मनोज तिवारी
३. सिख = शिरोमणि अकाली दल
४. जाट = जेजेपी
५. दिल्ली के इल्लिगल कॉलोनी वाले = ऑथोराइज़ करके ८० लाख लोग
६. झुग्गिओं में रहने वाले = पक्का मकान देने का वादा
७. लालची वोटर्स : बच्चियों को स्कूटी देने का वादा, २ रुपये किलो अनाज और फ्री योजनाएँ चालू रखने का वादा
८. महिलाएँ : २ लाख फिक्स्ड डिपाजिट का वादा
९. हिन्दू : सीएए, धारा ३७०, राम मंदिर
१०. कश्मीरी हिन्दू: धारा ३७०
११. एससी/एसटी: एलजेपी
इत्यादि
इन सबका फायदा चुनाव में होने की उम्मीद है.
सोशल मीडिया पर क्या माहौल है उसपर ध्यान नहीं दीजिये. डाटा दिखाता है कि केजरी के ज्यादातर वोटर्स गरीब तबके से आते हैं. ये सोशल मीडिया के अर्बन नक्सल्स, एंटी-नेशनल्स से फण्ड जुटाने के लिए मार्केटिंग ज्यादा करते हैं, वोट्स लाने का काम जमीन पर होता है. इस बार भाजपा ने जमीन पर बहुत ज्यादा काम किया था. देखते हैं रिजल्ट में क्या असर होता है.
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