Wednesday, July 15, 2020

क्या देश में ब्राह्मणों को पीछे रखने की साजिश है?

ऐसा लगता है, इस देश में किसी भी ब्राह्मण को एक सीमा से ऊपर नहीं जाने दिया जाता। आप उदहारण देख लें। नरसिम्हा राव का योगदान राजीव गाँधी से कहीं ज्यादा था, पर उनका अपमान किया गया। नारायण दत्त तिवारी के खिलाफ फर्जी वीडियो बना कर बदनाम किया। घनश्याम तिवारी कहाँ बन पाए मुख्यमंत्री? 

बाकी सब साजिश करते हैं क्योंकि ब्राह्मणों के पास योग्यता है। सब जलते हैं। ये तो मोदी जी हैं जो राजनाथ सिंह जैसे जाति विशेष पर कृपा रखने वाले लोगों की चलने नहीं देते। पर मुझे लगता है वे फिर भी अंदर-अंदर बाकि राजपूत नेताओं को सह देते रहते हैं।

इस देश में ब्राह्मण क्यों सिर्फ दूसरों को राजा बनाये और खुद मंत्री बना रहे? चाणक्य ने अगर शादी की होती और उसका बेटा राजा बनता तो कितना बड़ा ब्राह्मण राज्यवंश होता? पर चन्द्रगुप्त को सड़क से उठा कर राजा बनाया। नतीजा २ जेनेरशन में सम्राट अशोक ने देश बुद्धिस्टों को समर्पण कर दिया और हिन्दू धर्म खतरे में पड़ गया। ये तो तुलसीदास जैसे ब्राह्मण थे जिन्होंने हमारे धर्म को पुनरजीवित किया। और उस समय पूरा ब्राह्मण समाज तुलसीदास के खिलाफ था! ब्राह्मण अपने लोगों का साथ नहीं देते, पैर खींचते रहते हैं। शायद यह एक कारण है कि ब्राह्मण समाज एक सीमा से ऊपर नहीं जा पाता।

आज भी देश में सबसे अधिक जाति-निरपेक्ष अगर कोई समाज है तो वह ब्राह्मण समाज है। ब्राह्मण हमेशा देश-हित में वोट देते हैं, जाति आधार पर नहीं। पर दूसरी जातियाँ इसका फायदा उठा रही हैं। 

सच्चाई है कि परशुराम से आदि शंकराचार्य और फिर तुलसीदास से मंगल पाण्डे तक, इस देश में जब भी धर्म खतरे में पड़ा है, ब्राह्मणों ने अपनी प्राण देकर उसकी रक्षा की है। अकेले सोमनाथ मंदिर की रक्षा हेतु ५०००० ब्राह्मणों ने अपनी आहुति दी थी। अफगान से आये मुसलमान आक्रांताओं और मुगलों ने कितनी बार ब्राह्मणों को मार कर उनके जनेऊ का पहाड़ खड़ा किया था।

ये विकास दूबे क्रिमिनल था तो क्या योगी जी को इसे इस गंदे और अपमानजनक तरीके से मरवाने का हक है? और बेटे के हाथों उसका अंतिम संस्कार भी नहीं होने दिया (पिछला ब्लॉग पढ़ें)। मरते हुए इंसान का भी अपमान गलत है। फेक एनकाउंटर अन्याय है।

और उत्तर प्रदेश से यह खबर और चौकाने वाली है:


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