२०१५ के दिल्ली विधान सभा के चुनावों में हालाँकि आ.आ.पा. को "एकतरफा जीत" मिली थी (70 में से 67 सीटें); पर वास्तविकता यह है कि उसकी जीत उतनी भी "एकतरफा" नहीं थी। आम आदमी पार्टी सरकार के भारी "विज्ञापन बजट" से ललचाई मीडिया कंपनियों ने इस बात को ज्यादा हाई लाइट करना उचित नहीं समझा। आप निम्नांकित आंकड़े समझिए और खुद फैसला कीजिए:
2015: आप की एकतरफा जीत, फिर भी 13 सीटों पर कड़ी टक्कर
आप (आम आदमी पार्टी) ने 70 में से 67 सीटें जीतीं। इसके बावजूद 13 सीटों पर जीत-हार में वोटों का अंतर 10% से कम था। इनमें से 11 सीटें आप के खाते में गई थीं। दो सीटें भाजपा को मिली थीं। सबसे नजदीकी मुकाबला नजफगढ़ सीट पर रहा था। यहां हार-जीत में 1% का अंतर रहा। आप नेता सत्येंद्र जैन शकूर बस्ती से 3133 वोटों से जीते थे।
नजदीकी हार-जीत वाली टॉप 3 सीटें
सीट | अंतर% (वोट) | जीतने वाली पार्टी | हारने वाली पार्टी |
नजफगढ़ | 1% (1555) | आप | आईएनएलडी |
कृष्णा नगर | 1.7% (2277) | आप | भाजपा |
शकूर बस्ती | 3% (3133) | आप | भाजपा |
भाजपा सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद सरकार नहीं बना सकी।
उससे पहले २०१३ के चुनाव में तो हालत इससे भी ख़राब थी. आप खुद देखिए 2013 में 46 सीटों पर जीत-हार का अंतर :
2013: आप ने अपनी 28 में से 22 सीटें 10% के कम अंतर से जीतीं
भाजपा सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद सरकार नहीं बना सकी। 2013 में 46 सीटों पर जीत-हार का अंतर 10% से कम था। 27 सीटों पर 5% से कम और 12 सीटों पर 2% से कम था। जिन 12 सीटों पर 2% से कम अंतर रहा, उनमें 7 सीटें आप को मिलीं, भाजपा को 3 मिलीं। आप ने कुल 28 सीटें जीतीं, उनमें से 22 सीटें 10% से कम वोटों के अंतर से जीतीं।
नजदीकी हार-जीत वाली टॉप 3 सीटें
सीट | अंतर% (वोट) | जीतने वाली पार्टी | हारने वाली पार्टी |
विकासपुरी | 0.2% (405) | आप | भाजपा |
आरके पुरम | 0.4% (306) | भाजपा | आप |
दिल्ली कैंट | 0.5% (355) | आप | भाजपा |
इससे यह साबित होता है कि २०२० के चुनाव भी दिलचस्प होंगे।
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