यह बात तो काफी पहले साफ हो गई थी कि 'आम आदमी पार्टी' (आ.आ.पा.) में केजरीवाल को छोड़ बाकि के नेता पहचाने हुए भ्रस्ट, अनपढ़ और बाकि पार्टियों के नेताओं से कहीं गए-गुजरे हैं। ऐसे में आ.आ.पा. सरकार के "कानून मंत्री" ही अगर भ्रष्ट और झूठे-मक्कार साबित हो जाएँ तो जनता के सामने आ.आ.पा. की असलियत आसानी से सामने आ जाती है।
2015 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में शैक्षणिक योग्यता के संबंध में नामांकन
पत्र में गलत जानकारी देने के मामले में पूर्व कानून मंत्री जितेंद्र सिंह
तोमर को दिल्ली हाई कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। दिल्ली हाई कोर्ट ने
त्रिनगर विधानसभा क्षेत्र से आम आदमी पार्टी (आप) के विधायक जितेंद्र सिंह
तोमर का चुनाव रद कर दिया।
न्यायमूर्ति राजीव सहाय एंडलॉ की पीठ ने कहा कि
तोमर ने अपनी एलएलबी की डिग्री और व्यवसाय के संबंध में गलत जानकारी दी थी।
तोमर आठ फरवरी को होने वाले आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव में त्रिनगर से
ही आप के प्रत्याशी हैं।
भाजपा नेता नंद किशोर गर्ग की याचिका पर पीठ ने कहा कि अपने चुनाव में मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए तोमर ने ऐसा किया जो कि एक भ्रष्ट अभ्यास है।
न्यायमूर्ति राजीव सहाय एंडलॉ की पीठ ने कहा
कि चुनाव विशुद्ध रूप से एक वैधानिक अधिकार है और कानून का उल्लंघन करते
हुए पाए जाने पर तोमर को निर्वाचित रहने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
40 पेज के आदेश
में पीठ ने कहा कि तोमर स्नातक नहीं थे और वह तीन साल के एलएलबी पाठ्यक्रम
के लिए योग्य भी नहीं थे।
पीठ ने कहा कि तोमर की विधि की डिग्री मौजूद नहीं
है और ऐसे में बार काउंसिल ऑफ दिल्ली के साथ उसका नामांकन स्वेच्छा से
शून्य है। पीठ ने कहा कि तोमर ने हलफनामे में उन तथ्यों को दिया था, जो कि
झूठे थे और जिसे वह अपनी शैक्षणिक योग्यता के संबंध में सही नहीं मानते थे।पीठ ने कहा कि अपने चुनाव में मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए तोमर ने ऐसा किया जो कि एक भ्रष्ट अभ्यास है।
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