पांच साल पहले दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को जीत दिलाने में यहां के ऑटो चालकों की भूमिका अहम थी। अब इन ऑटो चालकों का आप और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के प्रति नजरिया क्या है? पांच साल में उन्हें क्या मिला? क्या केजरीवाल सरकार ने उनकी मांगें या वादे पूरे किए? इन्हीं सवालों का जवाब खोजती दैनिक भास्कर की यह ग्राउंड रिपोर्ट...
सुबह 10.30 बजे (करोल बाग). हमने आरकेपुरम के लिए ऑटो लिया। चालक थे मोहम्मद महबूब आलम। सफर के साथ बातचीत भी शुरू हुई। हमने पूछा- किसकी सरकार बनेगी? आलम बोले, “सरकार तो आप की ही बनेगी। लेकिन, केजरीवाल ने ऑटो वालों को लॉलीपॉप थमा दिया। साढ़े चार साल कुछ नहीं किया। चुनाव के 6 महीने पहले पासिंग का सालाना शुल्क माफ कर दिया।”
इसके बाद हमने आरकेपुरम से केंद्रीय सचिवालय जाने का प्लान बनाया। इस बार ऑटो चालक थे योगेश्वर शाह। वे 30 साल से ऑटो चला रहे हैं। हमने पूछा- दिल्ली सरकार कैसा काम कर रही है? शाह के जवाब में तल्खी दिखी। बोले, “कुछ समय पहले फिटनेस पास करने के चार्ज को फ्री करने का वादा किया, लेकिन कुछ हुआ नहीं। लंबी सवारी (ज्यादा दूरी वाली)- ओला और छोटी सवारी ई-रिक्शा ले गए। बस महिलाओं के लिए फ्री हो गई। अब ऑटो में जाने वाला कौन बचा?”
हमारा अगला सवाल था- कितना कमा लेते हैं दिनभर में? योगेश्वर ने कहा, “पहले के मुकाबले 50 फीसदी भी नहीं।
भास्कर
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